बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

बारिश



बड़ी बेदर्दी से रोता फ़लक...
उसपे फोटो खीचते ये अब्र...!!!

बड़ी दिनों से जमाकर रखी...
बर्फीली गिट्टी मार रहा धरा को...!!!

उधड गए महीन टाँके उसके...
सुबह ही लगवाया था जिन्हें..!!!

अब कल के अखबार मे देखना...
कहाँ कितना खून टपकाया...!!!

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