बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शनिवार, 8 नवंबर 2014

ज़िंदगी की लाईम लाइट



ज़िंदगी
की लाईम लाइट,
में तनहा बैठकर देखिये..!!

गुलाबी अरमान
कहीं किताबों के बीच
मुरझा के जरूर बिखरे होंगे....!!!

कुछ
सवालों के जवाब
अक्सर सुलगती अंगीठी
तले राखों में मिलते होंगे....!!!

वादों से
पोटली फटी मिलेगी
जहाँ जगह-जगह से
कसमें गिरती दिखाई देंगी....!!

वक़्त अंधी
दौड़ में भागते दिखेगा...
छूटते दिखेंगे सपने जो आपने
बुने होंगे कभी साथ मिल बैठकर...!!

कभी ज़िंदगी
की लाईम लाइट,
में कभी तो तनहा बैठकर देखिये..!!

©कॉपीराइट-खामोशियाँ-०८-नवम्बर-२०१४

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