आज
फिर से
वही परफ्यूम लगाया।
आज
फिर से
चेक शर्ट पहना है।
फलक
में सितारे
कहीं गुम है।
चल
चाँद के
दुधिया बल्ब में
उन्हें मिलकर खोजेंगे।
शब
खामोश हुई
गुस्साए बैठी देख।
आजा
फिर से सबको
लतीफ़े सुनाऊंगा।
तेरी हंसी
सबकी कानों
को जरूरी हो गई।
जिद
छोड़ अब
आजा ना कहाँ है तू।
© कॉपीराइट - खामोशियाँ - (२९-नवंबर-२०१४)
- मिश्रा राहुल
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