बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

रविवार, 9 नवंबर 2014

चिट्ठी टु वैकुंठधाम

सेवा में,
श्रीमान विधाता,
वैकुंठधाम
स्वर्गलोक-000000

महोदय,

             सविनय निवेदन है कि हम पृथ्वी वासी आपके दिये गए कुछ नियमो से काफी समस्याओं में उलझते जा रहे। कुछ दो अगरबत्ती और कपूर लेके परेशान रहते तो कोई दो-चार किलो लड्डू-पेंडे कि बात कर आपको फुसला जाता। कोई अपनी नौकरी को लेकर आसंकित है तो कोई अपनी छोकरी को लेकर आपसे गुहार लगाता। आपने जितने भी अवस्थाए बनाई: बाल्यावस्था...युवावस्था...वृद्धावस्था..हर अवस्था में ही इंसान को ढेरो पापड़ बेलने पड़ते। कोई आलू का बेलता तो कोई उरद का, पर उसको बेलने में हमारा ही तेल निकाल आता।
           आप ऐसा क्यूँ नहीं कर देते की सारे धाम को इकठ्ठा कर एक जगह बसा दीजिये। ना कोई वैष्णो देवी जाए ना कोई अमरनाथ। ना कोई छप्पन भोग चढ़ाए ना कोई बस चावल का आधा दाना। आखिर आपको इन सबकी क्या ज़रूरत या यूं कहे भारतवासी लोग सबको पैसा खिलाते खिलाते आपको भी तो नहीं ललचा देते। वैसे भी आप सारे देवता लोग भारत में ही तो जन्म लिए है आखिर हमारे पूर्वज ही तो ठहरे।
अंत में मैं बस यही कहूँगा की कोई आसान सा उपाय बताए की जिससे हमारी समस्याओं का समाधान सुचारु रूप से हो जाए।
            अगर मैं कुछ भी अनर्गल बोल गया हूँ तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। लगता है अब अगले हफ्ते हमको तो पाँच किलो लड्डू और १०१ बार हनुमान चालीसा मारनी होगी वरना मैं तो गया।

आपका सेवक
सम्पूर्ण पृथ्वीवासी
(चिट्ठी भगवान के नाम)

2 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ी विडम्बना है सब कुछ तो उसी ईश्वर का दिया है फिर भी हम उसे खुश करने के लिए उसी का दिया उसे अर्पण कर अपनी स्वार्थ पूर्ति करने से बाज नहीं आते हैं ..
    बहुत सटीक ..

    जवाब देंहटाएं