बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

गमो का जन्मदिन...


एक खाली
पड़े मकान से
जाने कितनी बार बात हुई...

कई रात
दोनों साथ काटें
सिरहाने तक लगवाए साथ...

रात मे
दियासलाई मार के
कितने अँधेरों को भगाए साथ...

देख आगन
पर कैसे टॉर्च
मार दोनों की तलाशी ले रहा अब्र...

बयार भी
दरवाजे पर कुंडी
पकड़ झूलती नजर आ रही...

सम्मे चिपके
कान लगाए चाह
रहे सुनना हम लोगों की फूस-फूस...

अब खोल
भी दे देख दरीचों
तलक आ पहुचे जुगनू रोते रोते...

देख अब
कहा तू अकेला
सब तो हैं चल आज माना ही ले...

... गमो का जन्मदिन...

~खामोशियाँ©

5 टिप्‍पणियां:


  1. कल दिनांक 04/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. बयार भी
    दरवाज़े पर
    कुंडी पकड़ झूलती नज़र आ रही है........

    बहुत सुन्दर!!!

    अनु

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  3. वाह ... क्या बात है ... ग़मों को भी जी लेना चाहिए ...
    लाजवाब ख्याल ..

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