बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

सोमवार, 1 अप्रैल 2013

किस्मती ताला...


अब हाथ दर्द
हो
चुके है..!!

किस्मती तालो
की
लटके लटके..!!

चाभी गुम
कर दी
मुकद्दर ने..!!

बता दे अब
और
झूठा दिलासा ना दे..!!

~खामोशियाँ©

1 टिप्पणी:

  1. ye kavita kuchh adhoori si lag rahi .. ise shayad thoda expand kiya ja sakta hai .. aur aapke blog ka layout, gadgets etc neat n clean tareeke se placed hain its nt messy bt luks fyn.

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