बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

सोमवार, 24 फ़रवरी 2014

ज़िंदगी की मॉडर्न आर्ट


बड़े-बड़े कैनवस मे,
उलझी छोटी सी ज़िंदगी ....
कूँची भी सुस्त पड़ी,

रंग-बिरंगे शीशे के बॉटल...
अक्सर पूछा करते,
तस्वीरों से हाल-चाल....!!!

कितने आहिस्ता से,
कंघी करता बालों को....
अभी जन्म ब्रुश*
लबों पर भी
लिपस्टिक* चलाता जाता....!!!

रंगो की दुनिया भी अलग...
कुछ काले...कुछ गोरे,
पर खुद भी द्वेष ना पालते....
बड़े मज़े से घुल जाते,
एक दूजे मे....

आखिर सब मिलेंगे
तभी तो बनेगी...
एक सुंदर...एक सफल
ज़िंदगी की मॉडर्न आर्ट*... !!!

*Brush *Lipstick * Modern Art*


©खामोशियाँ-२०१४  

5 टिप्‍पणियां:

  1. और बहुत जरूरी है जीवन की ये आर्ट बनाना ... इसमें अनेक रंगों को भरना ...

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  2. बहुत हिसुन्दर भावों से भरी रचना .....धन्यवाद

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  3. जिन्दगी का हर रंग खूबसूरत ............

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  4. सब कुछ प्रक्रुति मेम सुनियोजित है,बावजूद भिन्न्ताओं के.
    जीवन के केन वास पर रम्गों की विविधता,सम्योजन के साथ जीवन को
    पूर्ण करती है.
    सम्देश पूर्ण रचना.

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