बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 1 जनवरी 2014

बारीक आईने


किस्मत ने बड़ी बारीकी से
तोड़े है ये आईने ज़िंदगी के....

अब खुद की खुद से मुलाकात किए
बरसों गुज़र जाया करते....!!!

©खामोशियाँ-२०१४ 

2 टिप्‍पणियां:

  1. ह्रदयास्पर्शी लेखन भाई ....साथ आपके भाव्नुरूप रूपक हमेशा ख़ास बनाती अभिव्यक्ती।


    सादर

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    1. भैया आपका पीठ थपथापना हमेशा से सुखद अनुभव होता...!!!

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