बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

गुरुवार, 16 जनवरी 2014

Diary Cutting No 01......

डायरी की बैकस्पेस.....मिश्रा राहुल


©2014-Misra Raahul

3 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति-
    बधाई स्वीकारें आदरणीय-

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  2. धन्यवाद आपका उत्साहवर्धन के लिए।
    - स्वागतम खामोशियाँ में।

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  3. बैकस्पेस की याद सच में नहीं रहती ... पर बीते पल जरूर याद रह जाते हैं ...
    अच्छा लिखा है ...

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