बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 29 जनवरी 2014

सफर


हर सफर मे
कितने कब्र फोड़
निकाल लेते दोनों मसीहों को....!!!

हथेलियों से रगड़
मुंह की फूँक से
उनके कपड़े उतार डालते...!!!

कुछ को
बड़ी बेरहमी से
जख्म पर नमक छिड़क
मुंह मे ड़ाल बारीकी से पीस देते....!!!

तो औरों के
गले घोंटकर
पूरे शरीर का तेल
बड़ी आसानी से निचोड़ डालते....!!!

आज भी उनकी
चीखे मौजूद है उन पटरियों पर
लाश भी मौजूद टुकड़ो मे बटीं....!!!

कल आएगा
झाड़ू मार निकालेगा हर बोगी से
फिर सिनाख्त होगी....
किसके घर का दीपक बुझा....!!!

(मूँगफली के संदर्भ मे पर आजकल की ट्रेनो की भारी भीड़ देखकर ये व्यक्तियों से अलग नहीं लगता....दोनों पीसे ही जाते बिलकुल एक जैसे)

©खामोशियाँ-२०१४

9 टिप्‍पणियां:

  1. अब तो मूंगफली खाते समय डर सा लगेगा..

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  2. लाजवाब बिम्ब से जोड़ा है जीवन की हकीकत को ...

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