बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

मंगलवार, 21 जनवरी 2014

शेर संग्रह


जहां तक हो सका संकलन बना दिये है लोगों की फरमाइश आ रही थी शेर को इकठ्ठा पढ़ने की.....

नंबर जरूर बदल गए होंगे पर आज भी... 
कुछ एक नाम मिटाने का मन नही होता...!!!
- मिश्रा राहुल

एक छोटे से दिल मे अब कितनी और दर्द पलेगी....
पहले ही काफी सुराख जगह बनाए इन दरख्तों तले....!!!
- मिश्रा राहुल

फर्क ही नहीं पड़ता अब.....किसी के खफा होने का.....
अजीज कोई बचा नहीं.....गैरों को तवज्जो देते नहीं....!!
- मिश्रा राहुल

रंग-बिरंगी मोमबत्तियों को रोते देख बोल उठा मैं....
कितना झूठ बोलते लोग आँसू रंगीन नहीं होते....!!!
- मिश्रा राहुल

इतने आसानी से कहाँ मिलते हर सींपो में मोती....
गर आ भी गए बामुश्किल तो शक्ल जुदा ही होती।
- मिश्रा राहुल

आखिर कौन पढ़ देता मेरे हिस्से की नमाज़...
मेरी तो मौला से शायद कभी भी बनी नही....!!!
- मिश्रा राहुल

हर जख्म अब कहाँ नासूर बन पाती....
लोग तो उसे पकने से पहले ही मार देते....!!
- मिश्रा राहुल

उम्मीद की आंच अभी खत्म कहाँ हुई....
लोग तो यून्ही मुझे अकेला समझ बैठे....!!
- मिश्रा राहुल

बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....
जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखियाँ....!!!
- मिश्रा राहुल

अंधेरों मे तो 
अक्सर गुम हो जाया लोग..... 
किससे शिकायत करू.....???? 
हमने तो उजालों मे खोया सब कुछ....!!! 
- मिश्रा राहुल

यादों से अपने दामन भीगो डाले
गौहर जैसे बिखरे चलो पिरो डाले.........!!! 
- मिश्रा राहुल

उँगलियों की सफ़ेद पट्टी 
काफी कुछ कह जाती....
वो बस एक चमचामती 
अंगूठी ही नहीं थी....!!! 
- मिश्रा राहुल

कितने मुहल्लों की तलाशी ले चुका मैं.....
मिट्टी की बनावट हैं पर भगवान कहाँ.....!!!
- मिश्रा राहुल

प्यासे गले में उतर आती....
देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!
- मिश्रा राहुल

कभी काबे के राम.....कभी मस्जिद के श्याम.....
प्रेम के भूखे बैठे......मक्के मदीने-चारो धाम....!!!
- मिश्रा राहुल

चाँद शराबी हो गया मत ढूंढना उसे....
किसी बदरी पर लुढ़का पड़ा होगा...!!!
- मिश्रा राहुल

उम्मीद की परवरिश ठीक से हो नहीं पायी....
तभी फिसल गई जन्नत हाथ मे आने के बाद....!!!
- मिश्रा राहुल

चाँद जेबों मे लिए टहलते हैं....
फ़लक को देख छुपा हम लेते हैं....!!
कितने सितारे कैद नन्ही मुट्ठी मे....
आज उसे परखने को उछाल लेते हैं....!!!
- मिश्रा राहुल

दरिया खड़ा रोज़ पूछता मुझसे....
आज फिर अकेले ही आना हुआ.....!!!
- मिश्रा राहुल

रूठे लोग तब तो मनाए यार...
वक़्त की चौखट पर बुलाये बार बार....!!!
गिनते नहीं हम फिर भी कहते हैं....
खिलौने बने हम तोड़े गए हज़ार बार....!!!
- मिश्रा राहुल

अरमानो का गुलदस्ता सजाये बैठे हैं....
बड़ी दिल्लगी से दिल लगाए बैठे हैं....!!!
आते ही नहीं की बता दे उन्हे हम....
उनकी चाहत मे कितनों को रुलाए बैठे हैं....!!
- मिश्रा राहुल

ख्वाब चिपके बैठे हैं अलसाई आँखों से....
फिर सोये हो या जागे क्या फर्क पड़ता....!!!
- मिश्रा राहुल

भीगने दो पन्ने..
तैरने दो अल्फ़ाज़..!!
यादे जेहन मे हैं..
नहीं किसीकी मोहताज़...!!
- मिश्रा राहुल

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