कुछ जघन विपत्ति भी आनी हैं....!!
क्या करू कुछ समझाओ...
कुछ मार्ग हमे भी सुलझाओ...!!
लड़ने की ललक ना कम होती
तन मन मे वो ज्वाला भरती...!!
यूं हम भी तो मतवाले हैं...
ना रुका ना रुकने वाले हैं....!!
ले आएंगे वो काँच कवच....
खुद ब्रम्हा ही बतलाएंगे सच...!!
जो दान दिये थे कर्ण ने...
या भीख लिए थे अर्जुन ने...!!
छीन के हम वो सब लाएँगे...
खुद अपना भाग्य बनाएँगे...!!
©खामोशियाँ
Bahut Badhiya...
जवाब देंहटाएंडॉ साहब आपका साभार...!!
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