बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 24 जुलाई 2013

महगाई की मार:


कैसे कैसे दिन भी अब आने लगे हैं....
थैले पड़े टमाटर भी मुसकाने लगे हैं...!!

दिन गुजरता था सूखी रोटी पकड़े....
जमे घी रुपया भी पिघलाने लगे हैं...!!

चाय फीकी पड़ती आजकल की...
अदरक का स्वाद बंदर सुनाने लगे हैं....!!

सलाद मे कटे मिलता था कल तक....
आजकल प्याज़ भी आँखें मिलाने लगे हैं...!!

©खामोशियाँ

1 टिप्पणी:

  1. क्या बात है .. आज कल हर सब्जी आँखें मिलाने लगी है ...
    जबरदार व्यंग ,... मस्त अंदाज़ ...

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