बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शनिवार, 13 जुलाई 2013

फुर्सत


अंजुरियाँ रूठ गयी थी....कलम सिसक रहे थे....नोट पर गोजने खातिर देख कैसे तरस रहे थे....!!!
आज रहा ना गया बस लिख दिया कुछ ऊबड़ खाबड़ पंक्तियाँ भाव मे अंदर तक डूबना फिर बताना कैसा रहा सफर...ऊपर ऊपर तैरने पर गहराइयों का अंदाज़ा ना लगा पाओगे ए बशर...!!
तो पढ़िये ताज़ातरीन ग़ज़ल....!!

कितनों ने कितना जख्म बखश़ा है...
आज उसका हिसाब करने बैठा है...!!

ज़िंदगी भर काम आए जो वसूल....
आज उन्हे ही बंदा बेचने बैठा है...!!

जिन चिरागो ने तेल कभी नहीं पीया...
आज उनको जाम पिलाने बैठा है...!!

बदल जाती चाहने वालो की तस्वीर...
आज कल कौन दर्द भुलाने बैठा है...!!

गैरो को फुर्सत कहाँ अपने पास आने की...
आज अपना ही हमे रुलाने बैठा है...!!



©खामोशियाँ

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (14-07-2013) को कई रूप धरती के : चर्चा मंच १३०६ में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूब ... हर शेर लाजवाब ...
    क्या बात है ...

    जवाब देंहटाएं
  3. खूबसूरत ग़ज़ल .....हर शेर बेमिसाल....
    साभार.....

    जवाब देंहटाएं