बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 10 जुलाई 2013

बाजू की विंडो सीट....!!


आज भी खाली रखता...
बाजू की विंडो सीट...!!

एक अक्स..............
...............एक आस
टहलती हैं इर्द-गिर्द...!!

उसे बैठाने..............
.............पास बुलाने
खातिर बहाने बनाता...!!

हर मंज़र...............
..................हर वादे
पीछे भाग रहे...!!

बस समय.............
................बस याद
थमी बैठी शिथिल...!!

फिर भी कहीं कभी जरूर....
भरेगी वो अकेली..........

.........बाजू की विंडो....!!


©खामोशियाँ

2 टिप्‍पणियां: