आज भी खाली रखता...
बाजू की विंडो सीट...!!
एक अक्स..............
...............एक आस
टहलती हैं इर्द-गिर्द...!!
उसे बैठाने..............
.............पास बुलाने
खातिर बहाने बनाता...!!
हर मंज़र...............
..................हर वादे
पीछे भाग रहे...!!
बस समय.............
................बस याद
थमी बैठी शिथिल...!!
फिर भी कहीं कभी जरूर....
भरेगी वो अकेली..........
.........बाजू की विंडो....!!
अंतस के भावों की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंकैलाश सर आपका आभार....!!!
हटाएं