बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शनिवार, 29 जून 2013

यादों की बरसात:


हो गयी फुरसत उसके चंद अल्फ़ाज़ों के बाद...
चिराग भी जलता रहा बैठे बरसातों के पास..!!!

चाँद को देख अब्रो की आँचल मे कैद....
सितारा रोता रहा बने के सीपों की सांस...!!!

डरे...सहमे...दुबके...छुपके...
लिपटा रहता रखे जाने कितने एहसास...!!!

यादों की चादर बिछा के सो गया इस तरह...
बयार ने उतार दिया उसके चेहरे का लिबास...!!

©खामोशियाँ

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