बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

लम्हे की दास्ताँ


कुछ दूर चल....

गिरा पड़ा ....
वक़्त की कारवां से कट कर लम्हा....!!

सुना हैं ......
उम्मीद की धूप थोड़ी देर रहेगी...!!

हिम्मत हैं तो .....
चल परछाइयों के निशान पकड़े...!!

मिल जाएगा लश्कर....
दर्द से बोझिल हुई साँझ से पहले....!!

©खामोशियाँ

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के ब्लॉग बुलेटिन - इंतज़ार उसका मुझे पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |

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  2. हिम्मत है तो चल ... अगर लम्हे चल पाते तो यादें कहां बन पाती ...
    गहरा एहसास लिए शब्द ..

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  3. धन्यवाद सबका....और आभार हमारे ब्लॉग पर पधारे खातिर....!!

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