मैं हूँ
खुद में कहीं,
खोया हूँ
खुद में कहीं।
बदलकर
भी देखा,
बहलकर
भी देखा।
खोजता हूँ
खुद को वहीं,
जहां छोड़ा था
तुझ को वहीं।
मैं में
मैं हूँ,
कि नहीं।
तुझ में
मैं हूँ
कि नहीं।
जानता
हूँ ऐसा,
ना जानकर
हूँ ऐसा।
चाहता हूँ
रहूं मैं खुद में।
खोज रहा हूँ
खुद को
खुद में ही कहीं।
- मिश्रा राहुल
(1-मई-2017)
अर्थपूर्ण..
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