इस ठंड मे इतनी ओस पड़ रही कि दूर छोड़िए पास ही देख पाना मुमकिन नहीं हो पा रहा....रेल से लेकर हवाई-जहाज सब मंद पड़ गए है.....और ज़रा सी तेज़ी सीधा हॉस्पिटल पहुंचा दे रही लोगों को....तो बस इसी परिपेक्ष मे हमने कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं ज़रा गौर कीजिएगा.....!!!
चारो तरफ धुंध की सिगरेट फूंकता.....
..................दौड़ा आ रहा था कि.....!!!
वक़्त के पहिये की
दाहिने हड्डी टूटी गयी.....
बूढ़े काका भी ढूढ़िया लालटेन थामे.....
.................जांच रहे मर्ज............!!!
बयार की स्ट्रेचर पर अब भी लेटा......
............कराह से बिलबिला रहा.....!!!
अब देख कैसे कड़कड़ा रहे अब्र.....
फ़लक की चमकती भीगी..........
.....एक्सरे प्लेट पर उभरा है कुछ.....!!!
तारे जब आँसू पोछेंगे.....तो पता चलेगा.....
वक़्त तो.....
..........अभी लेटा बिस्तर पे मुंह लटकाए....!!!
©खामोशियाँ-२०१३
बहुत सुंदर कृति व प्रस्तुति , मिश्रा जी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकंप्यूटर है ! - तो ये मालूम ही होगा -भाग - १