अक्सर मिला करते एक साथ....!!!
किसी गुमटी-नुक्कड़ पे....
पान खाते विभीषण से लिपटे.....!!
कासिम-जयचंदो से लदे....
भारत-वर्ष मे....
आज तो
कुरुक्षेत्र बैंचकर आ धमके
कितने चौराहे छेकाए शकुनि.....
पासे फेंके जा रहे.....!!!
कवच टूट चुका....
कुंडल रेपइरिंग-हाउस* मे....!!!
कर्ण पड़ा असहाय.....
नहीं देता वचन
टूटने का भय हैं....!!!
सुदर्शन पड़ा सुन्न....
उंगली घिस गई....
मदसूदन** भी मूक पड़े....!!!
बस कोई रोक लो....
वरना लूट खाएंगे.....
ये काठ के दुर्योधन.....!!!
*Repairing-House.......**श्री कृष्ण
©खामोशियाँ-२०१३
आप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
जवाब देंहटाएंबधाई.
संजय जी धन्यवाद पर थोड़ी वर्तनी त्रुटि ने अर्थ का अनर्थ कर डाला....हम पुरुष हैं ..... !!!
हटाएंडॉ साहब आभार आपका.....!!!
जवाब देंहटाएंसुंदर !
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