वादे तो वादे ही ठहरे आजकल के चाहे वो इंसानी हो या खुदा के....टस-से-मस ना होते....अढ़उल हो या अगरबत्ती मानने को तैयार नहीं.....उन्हे भी चाहिए....नए भगवान....नयी मिठाई....सब कुछ चाहिए एडवांसड....अपडेटड....पुराने पैंतरे से अब हल ना होगी समस्या....जितनी जटिल होगी समस्या उतना महंगा हो मेवा.....खैर अब कुछ पंक्तियाँ....!!!
चप्पलें घिस गयीं मंदिर जाते जाते....
आवाज़ें रिस गयीं अज़ान गाते गाते.....!!!
फरियादें ना हो सकी पूरी महीने बीते.....
उम्मीदें रूठ गयी मुकाम आते आते.....!!!
आखिरी तक लगाते गए बाज़ी हम भी....
यादें भी दांव चढ़ी अंजाम आते आते....!!!
पुरानी अक्स लिए तरस गयी ज़िंदगी....
तंग आ गए हमभी अंजान पाते पाते.....!!!
एक के एक बाद लोग छूटते गए ऐसे....
बदरंग हो गए साए वीरान आते आते.....!!!
आपकी यह पोस्ट आज के (१७ दिसम्बर, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - कैसे कैसे लोग ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... यादें अंजाम सहज जाएं तो जीवन आसां हो जाएगा ...
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