हर रोज़ सबके निशान...!!
चलते मचलते
हवाओं पर पेंग मारते...
हर हचको पर
अलार्म टाँगे
लोगो को जगाया करते...!!
कुछ धूधली तस्वीरों बाद
अक्सर दोहरा जाते चेहरे...!!!
मुखौटे भी गिने चुने
खुदा के पास भी...
तभी पहना देता
उन्हे एक अरसे बाद...!!
खोज ज़रा...
किसी अजनबी शहर मे
अजनबी बना के...
मिलेगा किसी
टूटी टीन की छप्पर तले
चाय की मीठे चुसकियाँ मारते...!!
पहचान ना पाएगा तू....
खुद के अक्स को भी....!!
©खामोशियाँ-२०१३
बेमिसाल ब्लॉग और रचना लाजबाब
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें स्नेह