की चमकती चाभी...
चांदी के छल्लो मे
उरसकर चली गयी....!!!
कितने
सैयारे लांघते पहुंचा...
पर दरवाज़ो को जकड़े
भूरी आँखों वाले ताले...
हर आहट पर
बड़ी आस से ताकते...!!
और उस रोज़ सोचता
एक रात
चुपके से क्यूँ ना फाड़ दूँ
तेरी जुदाई के
हर वो इतिहासी पन्ने...!!
©खामोशियाँ
इतिहास के पन्ने फाड़ देने से भी इतिहास में लिप्त यादें नहीं मिटा करती दोस्त...
जवाब देंहटाएंपल्लवी जी कोशिश...!!!
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