इंसान भी यहाँ शैतानों से खेलता है।
सोच से परे होते हैं कुछ चेहरे देख,
सोने का भाव पैमानों से तौलता है।
कितनी उलझी है बातें आजकल की,
सीधे सा जवाब सवालों में बोलता है।
दोस्ती-दुश्मनी मे भी फासला कैसा,
जहर की मिस्री ख्यालों में घोलता है।
©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल
बेहतरीन ........उम्दा !!
जवाब देंहटाएं