बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014

अनुज के जनम दिवस पर


दिन बढ़े...वक़्त चले...
साल बदले...रोज़ खड़े....
कुछ दांव जीते...कुछ फैसले हारे....
नयी चुनौतियाँ लिए मझधार मारे....!!!

नयी रफ्तार....नया उपचार...
नयी चेतना....नया विचार....
जोश से प्रफुल्लित हैं सारे पतवार...
रणबेरी थामे बैठे विजय की हुंकार...!!!

हर पल....हर क्षण....
हर बल....हर रूप.....
जन्मदिन की शुभकामनाएँ भी हम ऐसी सुनाते....
ज़िंदगी की लत लग जाये बस ऐसी जाल बनाते....!!!

चलो लोगो के लहजे मे अंग्रेजी मे भी बोल देते हैं हॅप्पी बर्थड़े तो डियर विशाल

©खामोशियाँ-२०१४

2 टिप्‍पणियां:

  1. सबसे पहले ढेर सारी बधाई विशाल जी को और फिर आपको बेह्द भावपूर्ण अभिव्यक्ती देने के लिए


    सादर

    अनुराग

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