काफी देर से बेंच पर बैठे कबीर की आँखों को किसी ने अचानक से आकर अपनी नर्म हथेलियों से ढंक लिया।
गिन्नी फिर तू मुझे पहचानने को कहेगी और मेरा जवाब भी यही रहेगा, "सोते , जागते, उठते, बैठते गिन्नी गिन्नी रहती इर्द-गिर्द।
गिन्नी के हाथ को हटाते हुए कबीर हिचकते हुए बोल पड़ा।
गिन्नी भी मुस्कुरा कर अपनी तारीफों को कबूल किया।
"देख इतनी देर में मुझे हिचकियाँ भी आने लगी", कबीर ने बोला।
हिचकी वाली बात और गिन्नी नें फटाक से जवाब दिया,
"कबीर सांस रोको"
फिर अपनी उँगलियों को दूसरी उँगलियों के सहारे गिनना शुरू किया।
एक, दो, तीन, चार और अब पूरे पांच। हाँ सांस ले सकते हो।
वाह गिन्नी सच-मुच हिचकी छुमंतर। ये तरीका कहाँ से आया, कबीर ने उत्सुकता से पूछा।
गिन्नी नें जवाब में कहा, "तुम्हारी हिचकियों को भी अब पता चल गया मैं आ गयी हूँ और क्या। इतना भी समझ नहीं आता तुम्हे।"
फिर बातें बढ़ते चली गयी कभी ना रुकने वाली बातें।
- मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
गिन्नी फिर तू मुझे पहचानने को कहेगी और मेरा जवाब भी यही रहेगा, "सोते , जागते, उठते, बैठते गिन्नी गिन्नी रहती इर्द-गिर्द।
गिन्नी के हाथ को हटाते हुए कबीर हिचकते हुए बोल पड़ा।
गिन्नी भी मुस्कुरा कर अपनी तारीफों को कबूल किया।
"देख इतनी देर में मुझे हिचकियाँ भी आने लगी", कबीर ने बोला।
हिचकी वाली बात और गिन्नी नें फटाक से जवाब दिया,
"कबीर सांस रोको"
फिर अपनी उँगलियों को दूसरी उँगलियों के सहारे गिनना शुरू किया।
एक, दो, तीन, चार और अब पूरे पांच। हाँ सांस ले सकते हो।
वाह गिन्नी सच-मुच हिचकी छुमंतर। ये तरीका कहाँ से आया, कबीर ने उत्सुकता से पूछा।
गिन्नी नें जवाब में कहा, "तुम्हारी हिचकियों को भी अब पता चल गया मैं आ गयी हूँ और क्या। इतना भी समझ नहीं आता तुम्हे।"
फिर बातें बढ़ते चली गयी कभी ना रुकने वाली बातें।
- मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
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