स्टूडेंट गैलरी पर एक स्टैंड पर खड़े अपनी-अपनी किताबें खंगाल रहे थे। तभी वो बोल पड़ा "जब से इश्क के रोजगार हुए है, नज्में भी सन्डे खोजती।" बोलकर चुप हो गया।
"नज्मों की दुकान नहीं खुलती, मेरा शहर सन्डे को बंद रहता।" मिल गया जवाब एक प्यारी सी हंसी देकर फुल स्टॉप लगा दिया।
रस्किन बांड और पॉल कोएल्हो पढने वाली बाला कबसे हिंदी में जुमले पढने लगी।
तुमसे बदला लेने के लिए इतना तो ख्याल रखना होगा ना मेरे मजनू। वैसे भी मिले थे बुक स्टोर पे और तुमने ही सिखाया था एक बुक को दो लोगो को पढने में प्यार बढ़ता।
तभी मेरी बुकमार्क पर तुम आगे बढ़ जाती और तुम्हारी पे मैं। दोनों ख़त्म करते तो आधी तुम पढ़ पाती आधी मैं। कुछ ऐसा करो दोनों साथ ख़त्म कर सके पूरी किताब।
©खामोशियाँ-२०१५ | मिश्रा राहुल
(डायरी के पन्नो से)(२०-अगस्त-२०१५)
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