भोर के तारे,सांझ का आलस,रात का सूरज,पतझड़ के भौरे.... ताकते हैं हमेशा एक अजीब बातें जो लोग कहते हो नहीं सकता... चलते राहों पर मंजिल पाने को पैदल चल रहे कदमो में लिपटे धूल की परत... एक अनजाने की तरह उसे धुलने चल दिए...कितनी कशिश थी उस धूल की हमसे लिपटने की...कैसे समझाए वो...मौसम भी बदनुमा था शायद या थोड़ा बेवफा जैसा...एक जाल में था फंसा हर आदमी जाने क्यूँ पता नहीं क्यूँ समझ नहीं पाता इतना सा हकीकत...एक तिनका हैं वो और कुछ भी नहीं...कुछ करना न करना में उसे हवाओं का साथ जरूरी हैं..
गुरुवार, 30 अप्रैल 2015
बर्थड़े स्पेशल
खुशियों के बहाने हम खोज लाएंगे,
हम आपको हसाने हर रोज आएंगे।
कभी दराजों के पुर्जों में खोज लेना,
तस्वीरों से लिपटे हर रोज आएंगे।
यादों के इलाकों में गुल हैं जितने,
उतनी ही कलियाँ हर रोज लाएंगे।
ख्वाइशें लिख रखी हैं हमने कहीं,
लेकर सारे ख़्वाब हर रोज आएंगे।
- बर्थड़े स्पेशल - मिश्रा राहुल
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Happy Birthday Gunjan
All the Blessings and Happiness in your ways :)
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