पल-पल करते....
दिन भी गुज़रता जाता है....
वक़्त ठहरता कहाँ....
रोज मुंह चिढ़ाता हैं.....!!
इतने सबकी परवरिश....
एक साथ करती ज़िंदगी....!!
कभी तू बुरा मानता....
कभी वो तुझे मनाता हैं....!!
कितनी भी दलीलें दे...
तू रोक न खुद को पाता हैं....!!
हर बार जैसे तू ...
उस ओर खींचा जाता हैं....!!
तू जितना रोता...
उतना ही आँखें छुपाता हैं....!!
पुराने साज सुनके....
फिर दिल को बहलाता हैं...!!
दर्द के दिन भी...
दिये हंस के जलाता हैं....
खास दिन पकड़...
जन्मदिन भी मनाता हैं....!!
ये ज़िंदगी हैं या गमों का मेला....
जो भी आता हैं...
एक रोज़ चला ही जाता हैं....
चला ही जाता हैं....!!
©खामोशियाँ-२०१३
©खामोशियाँ-२०१३
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