बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

पत्र


कुछ पीले
पत्र आज भी अधूरे रह गए....!!!
लिफाफे ओढ़े
दुबके चुपके बैठे इतमीनान से....!!!


जवाब शायद लापता
डाकिया मिलता ही नहीं आजकल....!!!
कि पूछ लूँ हाल-ए-खबर....

टिकिट भी
पुराने पड़े बड़ी आस से देखते
आँखों पर काजल लगाए....!!!

सोचा करते
कभी उनकी भी तो बारी आ जाए....!!!

ट्रिन-ट्रिन
चलो आ गयी तेरी सौत की घंटी....!!!


©खामोशियाँ 

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