हो गयी फुरसत उसके चंद अल्फ़ाज़ों के बाद...
चिराग भी जलता रहा बैठे बरसातों के पास..!!!
चाँद को देख अब्रो की आँचल मे कैद....
सितारा रोता रहा बने के सीपों की सांस...!!!
डरे...सहमे...दुबके...छुपके...
लिपटा रहता रखे जाने कितने एहसास...!!!
यादों की चादर बिछा के सो गया इस तरह...
बयार ने उतार दिया उसके चेहरे का लिबास...!!
©खामोशियाँ