बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 7 नवंबर 2012

मन्नतें...!!!


कई मन्नतें आके चिपकी बैठी हैं गेसुयों से...
बार बार उसे उठाकर लगाते कानो के पीछे तक...!!!

पर इन जुल्मी हवाओं को कैसे समझाए...
उड़ा ले जाती यह सारी आयतों से लिपटी जुल्फे...!!!

अब बस इन्तेजार हैं एक अजब "आकृति" का...
जो आके आखों में बालों के भीगे-छीटें मार जाए...!!!

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