बज रहे पटाखों की साज में भी ..
खिरोचते हैं ये तन्हाइयों के नाखून ..!!
रंग बिरंगे चद्दरों की राज में भी ..
तरासते हैं ये रंगोलियों के सकून ..!!
फफकते सम्मो की आवाज में भी ..
ढूंढते हैं परवानो के खून ..!!
खिरोचते हैं ये तन्हाइयों के नाखून ..!!
रंग बिरंगे चद्दरों की राज में भी ..
तरासते हैं ये रंगोलियों के सकून ..!!
फफकते सम्मो की आवाज में भी ..
ढूंढते हैं परवानो के खून ..!!
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