एक शाम निकला लेने दिए...अब क्या बताऊ पड़ गयी नजर उन टूटे दीयों पर...पूछ बैठा कुम्हार साहब से इन दीयों को कोई ले ना गया क्या...अब क्या होगा इन दीयों का...!!!दूर खड़े मुस्काते वो पुराने दिए...
क्या इनकी किस्मत में टूटना ही होता...!!!
दिखते कभी ना लोग जिन्हें लिए ...!!!
कुम्हार की पसीनो का इत्र लगाए ...
तड़पते रहते किसी परवाने लिए...!!!
कितनी दीवालियाँ गुजारी अपनी उम्र में ..
पर जल ना सके लोगों को जलाने लिए ..!!!
देखते जा अंजाम क्या उसका ..
अभी तो कोने में लेटे हैं वो टूटे दिए ..!!!
©खामोशियाँ
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