बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

मंगलवार, 31 मई 2016

लप्रेक १०



रेनॉल्ड्स 045 अब तो सफ़ेद से पीला पड़ गया हैं। करन नें उसकी नीली कैप भी बड़ी सम्हाल के रखी। पिछले बार आशीष से उसकी कट्टी भी इसी बात पर हुई थी। उसनें एक दिन के लिए पेन उधार मांगी थी। 


करन से दिल पे पत्थर रखकर उसे एक दिन खातिर अपना रेनॉल्ड्स 045 दिया था।
 

आजकल दूकान दूकान ढूंढता है, रिफिल मिलती नहीं। लोग मजाक भी
उड़ाते अमन बदल दे अपनी राम प्यारी।
 

अमन भी पलटवार करता। गिफ्ट कभी पुराना होता है क्या। कभी प्यार करोगे समझ जाओगे हुजूर।
 

- मिश्रा राहुल

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