मुंह फुलाए या हम गुस्सा करे।
ढूंढ रहे आज भी लोग ऐसे हम,
जिन पर जीभर हम गुस्सा करे।
खो जाते मेरे हिस्से के सितारे,
टूटते जाए वो हम गुस्सा करे।
भूल ना जाए खो ना जाए ऐसे,
मुझे मनाए गर हम गुस्सा करे।
वक़्त बदलता है तो बदल जाए,
मन ना भाए तो हम गुस्सा करे।
©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल
(डायरी के पन्नो से)(०८-सितंबर-२०१४)
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