किसी दर्द की सिरहाने से....
बड़ी चुपके से निकलती....
अधमने मन से
बढ़कर कलम पकड़ती.....!!!
कुछ पीले पत्र....
पर गोंजे गए शब्द....
कभी उछलकर रद्दी मे जाते....
कभी महफ़िलों मे रंग जमाते....!!
शायद ही कोई होता ....
जो बना पाता किसीके
"नज़्म का नक्शा"....!!!
©खामोशियाँ-२०१३