बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शुक्रवार, 26 मई 2017

तेजस

तेजस में से हैडफ़ोन चोरी करने वाले, खिड़की के शीशे फोड़ने वाले एक नागरिक का अच्छा कर्तव्य अदा किये है।

ऐसे ही कुछ नवयुवकों को हम अक्सर अर्थव्यवस्था जैसे गंभीर मसलों पर अपना विमर्श देते हुए पाएंगे। बुलेट ट्रेन आये ना आये यहां वो अलग बात है देशभक्ति कैसे लाएंगे जेहन में लोगों के।

तेजस में सफर करने वाले लोगो का स्तर मध्यमवर्गीय से ऊपर ही होगा। क्या यहीं आपका नागरिक कर्तव्य है। क्या जो तेजस ट्रैन में यात्रा कर रहा उसके पास हैडफ़ोन के पैसे नहीं है?

जो हैडफ़ोन और एलसीडी का शीशा तोड़ा गया है वो सरकार ने या प्रधानमंत्री जी ने अपने पास से नही लगाया। वो हमारा ही पैसा है। आज आप अपने घर में ही डाका डाल रहे। कल को अगर आपके बेटे को तेजस जैसे हाई प्रोफाइल ट्रेन में सफर का मौका मिलेगा तो शायद उसे ही हैडफ़ोन ना मिले जो कि आपने चुरा लाया।

खुद बदलिए। देश बदलता दिखाई देखा।

- मिश्रा राहुल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें