तुम बात करो या ना करो पर रूठो ना,
इस कदर उलझाकर मुझको कोसो ना।
मैंने सौदे किए तुमसे अपनी चाहतों का,
कभी इस तरीके से मुझको सोचो ना।
चुप हूँ मैं कि दर्द देना नहीं और तुम्हे,
सन्नाटों नें कैसे जकड़ा मुझको पूछो ना।
जुगनू सितारे सब अपने घरों में सोए,
यूं अकेली रात में किसीको खोजो ना।
- मिश्रा राहुल | 27 - मई - 2018
(©खामोशियाँ) (डायरी के पन्नो से)
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 29 मई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, अमर क्रांतिकारियों की जयंती और पुण्यतिथि समेटे आया २८ मई “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब ..
जवाब देंहटाएंएक अच्छी रचना है
बहुत सुंदर छोटी उम्दा रचना।
जवाब देंहटाएंवाह!!सुंदर रचना .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंवाह !!!