इतनी भी बेरुखी से देखा ना करो,
मैं रोता हूँ शौक से पूछा ना करो।
थोड़ी सी गुजाइश मुझसे भी रखो,
मैं खुदा का बंदा हूँ खुदा ना करो।
लकीरें उभरेंगी कुछ और कल तक,
आज को देख कल तौला ना करो।
काफिर नहीं हूँ जो गुजरता जाऊँ,
हर बार बढ़ने को बोला ना करो।
सुलझाने में और उलझ गयी तू,
गांठ चढ़ने दो उसे खोला ना करो।
©खामोशियाँ-२०१५ | मिश्रा राहुल
मैं रोता हूँ शौक से पूछा ना करो।
थोड़ी सी गुजाइश मुझसे भी रखो,
मैं खुदा का बंदा हूँ खुदा ना करो।
लकीरें उभरेंगी कुछ और कल तक,
आज को देख कल तौला ना करो।
काफिर नहीं हूँ जो गुजरता जाऊँ,
हर बार बढ़ने को बोला ना करो।
सुलझाने में और उलझ गयी तू,
गांठ चढ़ने दो उसे खोला ना करो।
©खामोशियाँ-२०१५ | मिश्रा राहुल
जवाब देंहटाएंइंसान को इंसान बने रहने दो तो ही वह अच्छा ...
बहुत सुन्दर ..