तुम दूर कहाँ हमसे इतने पास हो मेरे,
रोज ख्वाबों मे आते इतने खास हो मेरे।
रात होती काली दिल डर सा जाता है,
उसमे जुगनू सजाते इतने खास हो मेरे।
अकेली तितली सी उड़ती जिंदगानी में,
तुम विश्वास जगाते इतने खास हो मेरे।
मेरे इर्द-गिर्द बस महकती तबस्सुम तेरी,
ऐसा एहसास दिलाते इतने खास हो मेरे।
©खामोशियाँ-२०१५ | मिश्रा राहुल
(१३-जुलाई-२०१५)(डायरी के पन्नों से)
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