खामोशियाँ...!!!
भोर के तारे,सांझ का आलस,रात का सूरज,पतझड़ के भौरे.... ताकते हैं हमेशा एक अजीब बातें जो लोग कहते हो नहीं सकता... चलते राहों पर मंजिल पाने को पैदल चल रहे कदमो में लिपटे धूल की परत... एक अनजाने की तरह उसे धुलने चल दिए...कितनी कशिश थी उस धूल की हमसे लिपटने की...कैसे समझाए वो...मौसम भी बदनुमा था शायद या थोड़ा बेवफा जैसा...एक जाल में था फंसा हर आदमी जाने क्यूँ पता नहीं क्यूँ समझ नहीं पाता इतना सा हकीकत...एक तिनका हैं वो और कुछ भी नहीं...कुछ करना न करना में उसे हवाओं का साथ जरूरी हैं..
शुक्रवार, 6 सितंबर 2019
बुधवार, 20 फ़रवरी 2019
मैं गीत वही दोहराता हूँ
मैं गीत वही दोहराता हूँ।
जो दौड़ कभी था शुरू किया,
उस पर दम भी भरता हूँ।
हर रोज ही अपनी काया को,
तेरे पर अर्पित करता हूँ।
कुछ बीज अपने सपनो के,
मैं खोज खोज के लाता हूँ।
एक कल्पतरु लगाने को,
मैं रीत वही दोहराता हूँ।
मैं डूब डूब के चलता हूँ,
मैं गीत वही दोहराता हूँ।
दो हाथ जुड़े कई हाथ मिले,
कुछ मोती से मुक्ताहार बने।
जो साथ चले वो ढाल दिए,
हम रणभेरी से हुकार किए।
हर बाधा से दो-चार किए,
हम ताकत से प्रतिकार किये।
फिर वही से मैं सुनाता हूँ,
मैं प्रीत वही बताता हूँ।
मैं डूब डूब के चलता हूँ,
मैं गीत वही दोहराता हूँ।
- खामोशियाँ | (20 - फरवरी - 2018)
बुधवार, 5 सितंबर 2018
ख्वाहिशें
कुछ ख्वाहिशें हम भी पालना चाहते हैं,
थोड़ा ही सही पर रोज मिलना चाहते है।
मरने का कोई खास शौक नहीं है हमें,
जिंदा रहकर बस साथ चलना चाहते हैं।
रोज आता चाँद पुरानी बालकनी पर,
ऐसी ही कुछ आदतें डालना चाहते हैं।
यादों के कोरों में बूंद जैसा रिसकर,
अकेली नुक्कड़ पर घुलना चाहते है।
कभी मिलो ज़िंदगी फुरसत में मुझसे,
तेरे साथ एक सुबह खिलना चाहते हैं।
©खामोशियाँ-2018 | मिश्रा राहुल
(डायरी के पन्नो से)(05-सितंबर-2018)
शनिवार, 28 जुलाई 2018
दुनिया
कुछ जरूरतें तेरी तो कुछ हमारी है,
इन बातों में उलझी दुनिया सारी है।
मोहब्बत की मुखबिरी कौन करता,
पूरा शहर ही इस खेल का मदारी है।
हर शख्स किसी मीठी जेल में होता,
खाकर सबने अपनी सेहत बिगाड़ी है।
चेहरे की मुस्कान उनको पचती कहाँ,
दुख बाटना ही जिनकी दुकानदारी है।
फेट रहा हूँ पत्ते लौटाने सबकुछ आज,
तेरी उम्मीद ही तेरी असल बीमारी है।
©खामोशियाँ - 2018 | मिश्रा राहुल
(26 - जुलाई -2018)(डायरी के पन्नो से)
रविवार, 27 मई 2018
बात
तुम बात करो या ना करो पर रूठो ना,
इस कदर उलझाकर मुझको कोसो ना।
मैंने सौदे किए तुमसे अपनी चाहतों का,
कभी इस तरीके से मुझको सोचो ना।
चुप हूँ मैं कि दर्द देना नहीं और तुम्हे,
सन्नाटों नें कैसे जकड़ा मुझको पूछो ना।
जुगनू सितारे सब अपने घरों में सोए,
यूं अकेली रात में किसीको खोजो ना।
- मिश्रा राहुल | 27 - मई - 2018
(©खामोशियाँ) (डायरी के पन्नो से)
रविवार, 13 मई 2018
राज
इतने दिनों तक तो चुप था दिल,
चल उसे भी कुछ कहने देते हैं।
आ जाएगी अपने रिश्तों में चमक,
खुद को अंदर तक जलने देते हैं।
कब तक सहेज पाएंगे राज अपने,
खोल किताब उनको पढ़ने देते हैं।
एक अधूरी गज़ल पड़ी बरसों से,
चलो किसी को पूरा करने देते हैं।
चुप रहकर पत्थर हो गया था मैं,
हर रोज कुछ आदतें पलने देते हैं।
यूं ही नहीं बातों में ज़िक्र अपना,
दिल पर मीठा जुल्म सहने देते हैं।
- मिश्रा राहुल (13-मई-2018)
(©खामोशियाँ-2018) (डायरी के पन्नो से)
गुरुवार, 26 अप्रैल 2018
मोबाइलकरण
हमने तकनीक को तीन चरण में बांटा है। Tech X, Tech Y और Tech Z।
Tech X वो है जिन्होंने स्मार्टफोन जब उठाया तो उनके बाल सफेद हो चुके थे।
Tech Y वो है जिन्होंने स्मार्टफोन जब उठाया तब वो जिम्मेदार हो चुके थे।
Tech Z वो है जिन्होंने स्मार्टफोन जब उठाया तब वो चलना शुरू नहीं किये थे।
हमारे देश में Tech Y की तादाद ज्यादा है। उनके पास हुनर है। काबिलियत है पढ़े लिखे हैं। अच्छा मोबाइल के मेनू और फीचर इस्तेमाल करते हैं। पर घर में कुछ लोगों ने आपकी अच्छी परवरिश के लिए खुद को इतना बांध लिया था कि उन्होंने कभी स्मार्टफोन की आवश्यकता नहीं दिखाई।
आप अगर काबिल हो जाए तो मातृ दिवस पर अपनी मम्मी को एक स्मार्टफोन गिफ्ट जरूर करें। साथ ही साथ रोज उन्हें उससे चलाना भी सिखाए। उनके न समझ आने पर उन्हें नम्रतापूर्वक समझाए। कभी आपके खिलोने तोड़ने पर भी मां ने भी आपके कान न उमेठते हुए मुस्कुरा कर आपको कहा होगा। कोई बात नही दूसरा आ जाएगा।
आप छोटी छोटी ट्यूटोरियल उन्हें दें जैसे:
- उन्हें फेसबुक और इंस्टाग्राम पर
- अपनी तस्वीरें पोस्ट करना सिखाए
- उन्हें यूट्यूब पर वीडियो खोजना सिखाए।
- उन्हें अपने पसंद की शॉपिंग करने सिखाए।
- उन्हें वीडियो कॉलिंग के बारे में समझाए।
आप एक बार कोशिश करिए। आपकी कोशिश जरूर रंग लाएगा। आप कब दे रहे है अपनी मम्मी को स्मार्टफोन।
- मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
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सूनी वादियों से कोई पत्ता टूटा है, वो अपना बिन बताए ही रूठा है। लोरी सुनाने पर कैसे मान जाए, वो बच्चा भी रात भर का भूखा है। बिन पिए अब...