बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

गुरुवार, 16 मई 2013

खामोशियाँ


उमर बढ़ते हैं....
लोग गुजरते नहीं....
पलकों के ख्वाब...
यूंही टूटते नहीं....!!!

कितनी खामोशियाँ
लिए ज़ेब टहलते...
मर्ज की कुल्हड़ मे...
दवा पिरोते नहीं....!!!

कितने मंझो मे
उलझी ज़िंदगी अब...
बादल फटते जाते
पर बरसते नहीं....!!!

कुछ दूर मिलते
दो चट्टान एक दूजे से...
अंश्क सूखे रहते
झरने झरते नहीं....!!

©खामोशियाँ

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