बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शनिवार, 27 सितंबर 2014

हमदर्द



टूट जाए तो जता दीजिये,
रूठ जाए तो मना लीजिये।

यादों की बातें याद रहती,
भूल जाए तो सुना लीजिये।

वक़्त अजीब है बुरा नहीं,
लूट जाए तो चुरा लीजिये।

वादों की गठरी लादे बैठे,
फूट जाए तो उठा लीजिये।

दर्द में ऐसा हमदर्द खोजा,
छूट जाए तो बुला लीजिये।

©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल
(२६-सितंबर-२०१४)(डायरी के पन्नो से)

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