बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

भूल गए


बरसो बाद भी पास बुलाना भूल गए.....
आज के लोग हमे पहचानना भूल गए.....!!!

बड़ी मोहलत दे दी हमने ज़िंदगी को.....
प्यासे समुंदर आँखें मिलाना भूल गए.....!!!

जुगनू ने यारी ऐसी भी क्या निभाई....
परवाने सम्मो से मिलावाना भूल गए......!!!

नज़्म कितनी अभी भी लटकी सीने मे.....
कूँची पड़ी अकेली कैनवास लाना भूल गए.....!!!

©खामोशियाँ-२०१३

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