बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शुक्रवार, 17 मई 2013

ज़िंदगी की कुल्हड़


थामे खाली
यादो के प्याले
हर्फ़ हर्फ़ घूमता हूँ.!!

लिए अकेले
वो मिट्टी शरीर
रोज़ रोज़ गूथता हूँ..!!

बिखरी पड़ी
ज़िंदगी की कुल्हड़
फूंक फूंक तराशता हूँ.!!

पकड़े बाज़ू
अन्श्को की चाय
किसको किसको पिलाता हूँ..!!

©खामोशियाँ

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