बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

सायों पर साए....

बस चलता जाता एक सीधा सा रास्ता है..
बड़ी दूर किनारों पर कोई अपना बसता है..!!

गुल थामे अक्सर पहुँचते हैं जुगनू वहां..
शाम को सूरज वहाँ भी जल्दी डूबता है..!!

लालटेन फूँक रहती सारे तेल बाहर देख..
लिफाफे खोले बिना ही पूरी नज्मे पढता है..!!

बड़ी दर्द भरी रहती पीले पन्नो में देख..
शायद गुलाब खून में डुबो के लिखता है..!!

दिए सो जाते बड़ी जल्दी दवा खाकर..
वो उठकर साए पर साए को बुनता है..!!

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