बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

रविवार, 24 फ़रवरी 2013

ऑस्कर पिस्टोरियस" और "लांस आर्मस्ट्रांग"


ऑस्कर पिस्टोरियस" और "लांस आर्मस्ट्रांग" दोनों से हमारा काफी गहरा जुडाव था...दोनों खेल के रत्न थे...पर जिंदगी की कसौटी को खेल की बुनियाद कहा तक सम्हालेगी...!!!
आदर्श और उनके पदचिन्हों को पकड़ के चलने की परंपरा अब लगता हैं खत्म कर देनी चाहिए...जब आइकॉन ही ऐसे करतूत करेंगे तो...आम आदमी से क्या अपेक्षा की जाए...!!!
बड़ी भोर में अकेले निकल गया...
मैं भला आदमी ढूढने..!!!
कौन मदद करे मेरी...
सूरज आँख मीज रहा...
सितारे सामान सैन्हार रहे...!!!

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