बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

अकेली सांझ...!!!

हर सांझ की तन्हाई जाने कितने सवाल अपने अन्दर बसाए रहती....थोड़ी दूर चलते हम...और शायद गली ही रूठ जाती हमसे...रास्ते ही ना होते आगे के...!!!
बड़ी अकेली बैठी शाम का दस्तूर हो गया ,
नजरें थी पास पर वो दिल से दूर हो गया .. !!

किसी चाह्दिवारी में सजे झूमरो जैसे,
वो चाँद भी हमारी पहुच से दूर हो गया .. !!

कितने ग़ज़ल दबे उन पीले किताबों में,
गुनाह किया कितने और वो बेकसूर हो गया .. !!

तनहाइयों ने छेड़ दी वो कशिश ज़िन्दगी में ,
मोहरा आएने में झाकने को मजबूर हो गया .. !!

एक अजब सी सवाल आँख मिजाते पूछती सुबह,
तेरा यार जो पास था वो कैसे दूर हो गया .. !!

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