बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

यादों को धोया...!!!


यादो के दाग थामे दामन पुराने...
सुबह ही तो धोया था सर्फ़ से...!!!

जाने किनती मस्स्कत के बाद...
सुखाया टाँगे झूलते अरगनी पर...!!!

चिमटी भी लगाया कि उड़...
न जाए किसी दूसरे कि छत पर...!!!

इतनी सिलवटें हैं कि कितनी इस्त्री करे...
शायद कितना भी धोने पर नहीं जाते..

कुछ पुराने यादों के चकते...!!!

इतना आसान ही रहता भुलाना तो..
खुद बदल न लेता यादो से सनी कमीज...!!!

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